प्लेन क्रैश : भगवान ने मुझे बचाया ताकि मैं कुछ कह सकूं

अहमदाबाद: भारत में पहली बार रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई। जिसमें एक चमत्कार सामने आया है। अहमदाबाद से लंदन जा रहा प्लेन एयरपोर्ट से 1 किमी पर ही क्रैश हो गया, 242 यात्री सवार थे जिसमें से 241 की दर्दनाक मौत, एक शक्श मौत को छूते हुए बचा।
32 साल के विश्वास कुमार रमेश नाम के इकलौते व्यक्ति है जो जिंदा बच बच पाए जो कुदरत का करिश्मा माने जाते है। वो फ्लाइट के 11A सीट पर बैठे थे, जानिए उन्होंने घटना को कैसे बताया कि 30 सेकंड में मामला खत्म।
विश्वास ने कहा ” फ्लाइट टेकऑफ़ होने से पहले किसी को इस घटना होने का 1% भी अंदाजा नहीं था।
- विश्वास ने कहा ” फ्लाइट टेकऑफ़ होने से पहले किसी को इस घटना होने का 1% भी अंदाजा नहीं था।
- 2. उन्होंने सीट बेल्ट पहन रखी थी।
- 3. उनका कहना है की जैसे ही फ्लाइट ‘टेकऑफ़ हुई 30- 40 सेकंड में पूरे प्लेन में कंपन और हिलने लगी।
- 4. मैने खुद को नीचे झुका किया और धमाका हुआ ” मेरी मौत निश्चित थी, पर घटना के बाद में सांस ले पा रहा था, लोगों ने मुझे हॉस्पिटल पहुंचाया।
मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं, जोर से चिल्लाया… कुछ समझ नहीं आया। जब होश आया तो मलबे के नीचे दबा था, लेकिन सांस चल रही थी,” – विश्वास ने रोते हुए बताया।

हॉस्टल बना आग का गोला
एयर इंडिया की यह फ्लाइट क्रैश होने के बाद सीधा बीजे मेडिकल कॉलेज के गर्ल ओर बॉयस हॉस्टल पर घिरा जिसे नींद में सोते 28 छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई
घटना सुबह 9 बजे के लगभग हुई, तब कई छात्र सो रहे थे और कई पढ़ाई कर रहे थे जिसके बाद क्रैश प्लेन का हिस्सा टकराया और दर्दनाक 28 मौतों की पुष्टि हुई
‘ आग और धुएं के साथ हॉस्टल की पूरी बिल्डिंग कांप उठी। कुछ छात्र चीखते-चिल्लाते बाहर निकले, लेकिन कई लोग अंदर ही फंसे रह गए।”
सिविल हॉस्पिटल बना श्मशान
इस घटना के बाद सिविल हॉस्पिटल अहमदाबाद में लाशों के ढेर बिछ गए, नजारा अदृश्य था, पूरे देश के रोंगटे खड़े हो गए, मलबे में सैकड़ों की जाने दबी थी, कोई नहीं बच पाया।
- कई डॉक्टरों ने अपने जूनियर नर्स और स्टूडेंट्स को खो दिया ।
- पोस्टमार्टम के लिए लाभी कतारें देख डॉक्टर खुद को नहीं संभाल पाए।
- पूरे हॉस्पिटल में परिजनों के चीखने और रोने की आवाजें जो दिल दहला देने वाली।
- यह त्रासदी पहली बार देखी गई जिसके बात किसी का दिमाग काम नहीं किया।
हमने पहली बार अस्पताल को इस हालत में देखा – यह अब अस्पताल नहीं, श्मशान जैसा लग रहा है,” – वरिष्ठ नर्स की आंखें नम थीं।