विश्व चैंपियन 19 वर्षीय डोमाराजु गुकेश ने नॉर्वे शतरंज 2025 के 6वे राउंड मे रचा इतिहास। गुकेश शुरुआत में पीछे थे फिर उन्होंने विनम्रता और अपनी रणनीति से मूव चला और आखिरी क्षणों में डी गुकेश ने 5 बार के विश्वविजेता को हराया (मैगनस कार्लसन) को मात देते हुए, वे करोड़ो भारतीय के लिए प्रेरणा बन चुके है।
यदि कभी दुनिया में विनम्रता की प्रतियोगिता होती, तो निःसंदेह गुकेश उसमें भी विजेता होते। भारत को ऐसे युवा पर गर्व है, जो न केवल चैम्पियन है, बल्कि एक सच्चा मानव भी है।
हार के बाद मैग्नस खो बैठे अपना आपा, मारा मुक्का
हार के तुरन्त बाद मैग्नस कार्लसन बौखला गए, उन्हें विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने मेज पर मुक्का मारा और लाल हो गए, जिसके बाद उन्होंने गुकेश को बधाई देते हुए, इस कृत्य के लिए माफी मांगी और चल दिए। वही विजेता डी गुकेश ने अति संयमित प्रक्रिया दी। उनका हाथ, अपने मुंह पर था, ओर वे अपने स्थान से जीतने के बाद बगल में खड़े हो गए। न उछले, न कूदे और नहीं चिल्लाए।
विजेता वाला भाव यही है। पराजित पक्ष को अपमानित करने या जताने जैसा कोई भी कृत्य उन्होंने नहीं किया।
डी. गुकेश की सौम्यता मुझे बहुत भाती है। उम्र भी उन्नीस ही साल है। विश्वविजेता होकर अपने आपको बचा पाना बहुत मुश्किल होता है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई
विश्व चैंपियन गौरव डी गुकेश को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाए देते हुए देश का गौरव बताया और लाखों नेता, अभिनेता, एवं नामचीन हस्तियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से किया प्रोत्साहित और दी शुभकामनाएं।
यह था प्रधानमंत्रीजी का ट्वीट
An exceptional achievement by Gukesh! Congratulations to him for triumphing over the very best. His first-ever win against Magnus Carlsen in Round 6 of Norway Chess 2025 showcases his brilliance and dedication. Wishing him continued success in the journey ahead.@DGukeshpic.twitter.com/TjxyPzn3uN
गुकेश और उसके माता-पिता के लिए यह आसान यात्रा नहीं थी। 2017-18 में, उसके पिता रजनीकांत ने गुकेश के साथ यात्रा करने और अंतिम जीएम मानदंड प्राप्त करने के उसके सपने का समर्थन करने के लिए अपनी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी।
इस बीच, उसकी माँ पद्मा कुमारी घर चलाने वाली एकमात्र कमाने वाली बन गई।हालाँकि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन गुकेश को उस समय इसका एहसास नहीं हुआ। 2017 और 2018 में, परिवार के पास वित्तीय तंगी होने के कारण, उसके माता-पिता के दोस्तों ने गुकेश को प्रायोजित किया, यह संघर्ष, त्याग, समर्पण से लगाकर डी गुकेश ने 5 बार के विश्वविजेता को हराया तक का सफर काफी दुखमय है।
“मेरे माता-पिता को मेरे टूर्नामेंट खेलने के लिए जीवनशैली में कई बदलाव करने पड़े। उन्होंने सबसे ज़्यादा त्याग किए,” उन्होंने कहा।
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