G7 सम्मेलन 2025 : भारत ग्लोबल ताकत की ओर

G7 में सात प्रमुख विकसित देश
G7 सम्मेलन 2025 : विश्व के सात सबसे विकसित देशों का समूह है।इसका मुद्दा वैश्विक आर्थिक विकास पर चर्चा, विकास मॉडल स्थापित करना, डिजिटल सुरक्षा को बढ़ावा देना एवं वैश्विक समस्याओं का समाधान करना है। भारत G7 शिखर समूह में शामिल नहीं है, पर विश्वपटल पर नीतिगत मामलों में राय देने वाला अहम साझेदार है।
मोदी की विदेश नीति से भारत को यह मिला

भारत को कनाडा प्रधानमंत्री का न्योता
- पूर्व की स्थिति :
पूर्व में भारत और कनाडा के संबंध अच्छे नहीं थे।
2023 में वहां के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार ने खालिस्तानी गतिविधियों पर कार्रवाई की मांग की थी।
लेकिन कनाडा सरकार ने अनदेखा किया, इससे पीएम मोदी नाराज दिखे और दोनों के रिश्तों में खटास देखने को मिली।
- वर्तमान स्थिति:
पूर्व प्रधानमंत्री ट्रुडो के इस्तीफा के बाद 2025 में नए मार्क कार्नी ने भारत से संबंध सुधारने की कोशिश की।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G7 में विशेष आमंत्रण का न्योता दिया है, जो देश के लिए सकारात्मक सूचक है।
G7 में भारत की उपस्थिति
प्रभाव
भारत विश्व का अटल प्रभावशाली देशों में से एक है। भारत न केवल G7 का “हिस्सा लेने” जाता है बल्कि कुशल नेतृत्व और वैश्विक निर्णय लेने की ताकत बखूबी निभाता हैं।
नेतृत्व
भारत G7 में ग्लोबल साउथ — जैसे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों — की आवाज़ बनकर उनके हितों, समस्याओं और विकास की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
लोकतंत्र
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है एवं विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, है यह अटल आर्थिक ताकत का प्रमाण है।
विकास मॉडल
भारत सदैव विश्व शांति और स्थायित्व को स्थापित करता है, भारत का निरंतर प्रयास केवल विकास के मुद्दों पर प्रायोजित है जैसे इंटरनेशनल सोलर अलायंस इस और मिशन (lifestyle for environment) जैसी पहल G7 देशों को आकर्षित करती है।
‘भारत’ वैश्विक दृष्टिकोण कुशल नेतृत्व प्रतिबद्धता से आने वाले वर्षों में देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मजबूती से नेतृत्व करता नजर आएगा।
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G7 का भारत नीतियां पर समर्थन
व्यापार, निवेश, तकनीक का समर्थन
भारत ने G7 को तकनीक में अनुसंधान की इच्छा जताई:
- Digital product infrastructure (DPI)
- Aadhar UPI
- CoWIN Cybersecurity
- Ekyc
- Aarogya setu
- ONDC
- Digilocker
इन तकनीक को अन्य विकसित देशों तक पहुंचाने की योजना G7 शिखर के सामने रखी।
भू – राजनीतिक समर्थन
G7 देशों का समर्थन दिखाता है कि भारत अब वैश्विक मंच पर एक भरोसेमंद और प्रभावशाली साझेदार बन गया है, जो चीन के प्रभाव को संतुलित करने में सक्षम है। इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय सम्मान, निवेश और सुरक्षा सहयोग मिल रहा है।
भारत के लिए भविष्य में वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में उसकी निर्णायक भूमिका के शोक संकेत है।

क्या भारत अब G7 का हिस्सा बन सकता है?
G7 के विस्तार को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन कुछ देश अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं।
हालांकि, भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका से यह मुमकिन है कि आने वाले वर्षों में भारत को G7+1 या G8 का हिस्सा बनाया जाए।
G7 के मंच पर भारत की भूमिका
G7 के मंच पर भारत
इटली में आयोजित G7 के सम्मेलन में भारत की भूमिका:
- G7 में भारत की उपस्थिति आम बात नहीं है, विश्व में उभरता हुआ विकसित देश है “बल्कि” नीतियों में भी आगे बढ़ रहा है।
- पीएम मोदी का इस सम्मेलन में भाग लेने का मकसद विदेश नीतियों में अपनी हिस्सेदारी देना था।
- विश्व में भारत को नई पहचान मिली जो आने वाले समय में मजबूती देने में अहम होगा।
- भारत के पीएम ने विश्व के कई देश जैसे एशिया, अफ्रीका के सपनो को भी बयां किया और उनकी जरूरतों को रखा।
- विश्व के सभी देशों ने भारत को ताकतवर देशों में गिना और चीन बढ़ते प्रभाव को कम करने का सहारा माना।
पीएम मोदी के मुद्दे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में G7 के मंच पर भाषण देते हुए यह 5 बाते रखी:
- पीएम मोदी ने कहा कि विश्व के विकासशील देशों जरूरत और समस्याएं G7 के मंच पर प्राथमिकता बननी चाहिए।
- पीएम मोदी ने पाकिस्तान और चीन को टार्गेट करते हुए “कहा कि कई देश आतंकवाद को ‘राज्य नीति’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, उन पर कार्यवाही हो।
- भारत का जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर सटीक रुख – सभी विकसित देश जिम्मेदारी ले और फंडिंग करे।
- विश्व में AI के बढ़ते प्रभाव पर भारत भी जुड़ना चाहता है ग्लोबल लीडर की चाह रखता है। पीएम मोदी ने टेक्नोलॉजी के नैतिक इस्तेमाल की मांग को रखा।
- भारत को एक लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक तौर पर एक अच्छा नेतृत्व कर्ता बताया।
G7 में भारत को लेकर सहमति
1. ग्लोबल साउथ की आवाज
- पीएम मोदी के विकासशील देशों की आवाज़ उठाने के बाद, G7 देशों ने पहली बार इस मुद्दे को सहयोग की सहमति जताई।
2. क्लाइमेट फंडिंग
भारत ने जलवायु परिवर्तन को लेकर सभी विकसित देशों को मिलकर फंडिंग देने का मुद्दा उठाया जिस पर:
- बढ़ रहे विकासशील देशों को फंडिंग चाहिए
- जलवायु फंड को लेकर 100 बिलियन डॉलर रिलीज करने का आह्वान किया ।
- जिस पर भारत की मांग पर सहमति बनने के संकेत।
3. टेक्नोलॉजी और Ai का इस्तेमाल
G7 ने भारत के इस मुद्दे पर सहमति जताते हुए यह सलाह दी:
- मानव कल्याण और विकास के लिए Ai और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग हो।
- साइबर सुरक्षा, व्यक्तिगत डेटा, सरकारी डेटा को सुरक्षित रखा जाए।
फ्रांस और भारत ने मिलकर यह बात रखी थी जिस सहमति बनी।
4. चीन पर राजनीतिक संतुलन
चीन का नाम लिए बिना इशारों इशारों में कहा लेकिन:
- सभी ने इंडो-पैसिफिक में भारत की अहम भूमिका बताई।
- भारत, अमेरिका और जापान को साझेदार को “stabilizing force” कहा
5. भारत के DPI मॉडल की तारीफ
भारत द्वार UPI, CoWIN , जैसे तंत्रों की जमकर G7 ने तारीफ की।
वर्ल्ड बैंक और EU बैंक की भी पॉजिटिव प्रतिक्रिया
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