शुभांशु शुक्ला : Axiom mission में 40 साल बाद रचेंगे इतिहास

Axiom-4 के Axiom-mission (ISS) आकाशगंगा के तहत अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्रा होने जा रही है। यह मिशन 14 दिन का होगा। जिसमें शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा के यान पायलट होंगे इनके अलावा 4 अंतरिक्ष यात्री और होंगे। वे अंतरिक्ष यात्रा Axiom-4 के पहले भारतीय है। 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के रूप में भेजेगा।

शुभांशु शुक्ला, लखनऊ (यूपी) के रहने वाले हैं। अलीगंज से प्रारंभिक पढ़ाई के बाद, NDA नेशनल डिफेंस एकेडमी में प्रवेश लिया। शुभम 2006 से वायु सेना फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त है। शुभांशु 2020 में गगनयात्रा के लिए भी चुने गए हैं मार्च 2024 में हुए ग्रुप कप्तान बने।
इनको 2000+ घंटों उड़ान अनुभव है। उन्होंने यह विमान उड़ाए।
- सुखोई 30
- MK1
- MG21
- M1G29
- हॉक
- डोरियर
- एन 3C
शुभांशु फाइटर कांबेट लीडर और पायलट भी हैं।

ISS यात्रा का उद्देश्य
ISS को अमेरिका, रूस, जापान और कनाडा जैसे विकसित देशों में मिलकर बनाया है। और कदम सभी से चर्चा करने के बाद उठाया जाता है।
1. रिसर्च करना
- मानव शरीर पर अंतरिक्ष का असर
- भोजन व्यवस्था और फसल उगाना।
- दवाई की प्रतिक्रिया क्या?
2. मानव जीवन संभव
- इंसान बिना ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षण) कैसे रहे
- इंसान का चांद या मंगल पर रहना संभव
- मूलभूत (खाने, सोने ओर सांस लेने)
3. नई तकनीके बनाना
- अंतरिक्ष में चलने वाली उपयोगी उपकरण
- जरूरी, जल- चिकित्सा उपकरण
- स्पेससूट का जीवन और रॉकेट सिस्टम पर सुधार।
4. अंतरराष्ट्रीय मदद को बढ़ावा
ISS पूरी तरह से Space और SpaceX के बीच मजबूत सहयोग कर भारत को:
- तकनीक एक्सचेंज
- प्रशिक्षण देना
- भविष्य में स्पेस स्टेशन में मौका मिलने
5. शिक्षा और प्रेरणा
- शुभांशु की यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के इतिहास रचना वाली है, ओर भविष्य में अंतरिक्ष क्रांति की नींव है।
देश के छात्रों और युवाओं को:
- अंतरिक्ष विज्ञान पर रुचि
- वैज्ञानिक प्रयोग देखने चाहिए।
- स्पेस और अंतरिक्ष का जाएं मिलने का मौका है।
कौन होंगे अंतरिक्ष यात्री
- अमेरिका की पेगी व्हिट्सन जो, अपने जीवन में दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा करने जा रही है, सबसे अनुभवी मानी जाती है।
- पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्निएव्स्की एक वैज्ञानिक इंजीनियर है, विशेषज्ञ के रूप में रहेंगे।
- हंगरी के टीबोर कापू जो टेक्निकल ओर मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में रहेंगे।
- भारत के शुभांशु शुक्ला जो अंतरिक्ष यान के पायलट होंगे।

Axiom-4 की चुनौती
1. लॉन्चिंग
- सबसे पहली ओर बड़ी चुनौती परफेक्ट लॉन्चिंग है।
- तकनीकी और कॉप्यूटर सिस्टम टीके रहना।
2.शारीरिक और मानसिक
- 14 दिन का यह मिशन काफी चुनौत वाला होने वाला है, शरीर को स्वास्थ्य और सक्रिय रखना होगा।
- मानसिक तनाव और नींद की कमी।
3. तकनीकी सिस्टम
- हर चीज मशीनों और तकनीक पर टिकी है।
- धरती से जुड़े रहना बेहद जरूरी।
- नेविगेट सिस्टम का टीके रहना जिससे दिशा ना भटके।
4. अंतरिक्ष का कचरा
- पूराने असफल हुए सेटेलाइट, रॉकेट के हजारों टुकड़ों से बचना
एक्सियोम 4 के लिए यह यात्रा चुनौती पूर्ण होने वाली है, जिसका इस जांबाज योद्धाओं को सामना करना होगा।
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