गुर्जर महापंचायत : सरकार को माननी पड़ी मांगे

जयपुर: गुर्जर समाज द्वारा राजस्थान के सियासत में नया उबाल देखने को मिला, गुर्जर समाज द्वारा सरकार को सात मांगे पेश की थी, जिसपर सरकार ने अनदेखा किया जिसका परिणाम रेल मार्ग जाम होने का दृश्य देखने को मिला, जिसके बाद कई जिलों में पुलिस बल तैनात करना पड़ा। जानिए क्या हुआ ऐसा गुर्जर महापंचायत : सरकार को माननी पड़ी मांगे।
महापंचायत की जड़े
गुर्जर समाज द्वारा राजस्थान के भरतपुर जिले के पीलूपुरा में 8 जून को समाज की बैठक हुई गुर्जर महापंचायत की अध्यक्षता की कमान किसान नेता विजय बेसला ने संभाली जिनके साथ हजारों को संख्या में सामाजिक आंदोलनकारी उत्तर प्रदेश के विधायक अतुल प्रधान शामिल हुए।जिसके बाद सरकार के खिलाफ लिखित में 12 घंटों का अल्टीमेटम जारी करते हुए मांगे स्वीकारने की बात कही।

7 मुख्य मांगे
- 5% MBC आरक्षण को संविधान की 9वी अनुसूची में जोड़ा जाए।
- पूर्व में जिन आंदोलन में शहीद हुए युवाओं को सम्मान, नौकरी और मुआवजा
- मिले देवनारायण योजना समीक्षा की जाए और समाज को इसका लाभ मिले।
- OBC में MBC के लिए अलग रोस्टर हो जिससे गुर्जर विद्यार्थियों को सही दिशा मिले
- पूर्व में चयनित सभी अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द नियुक्त किया जाए
- पिछले आंदोलन में दर्ज केस को सरकार वापस ले।
- 2007 के आंदोलन की न्यायिक जांच हो और दोषियों को जल्द सजा मिले
सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि हर समस्या का बैठकर हल निकाला जा सकता है, आंदोलन या हिंसा इसका परिणाम नहीं।
सरकार का फैसला
गुर्जर समाज की महापंचायत के बाद राजस्थान सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया। राज्य के गृह मंत्री ज्वार सिंह बेढ़म ने आंदोलन के नेता विजय बैंसला से बातचीत की।
MBC (5%) आरक्षण को मजबूत किया जाएगा और इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की कोशिश की जाएगी।
आंदोलन में जिन लोगों की जान गई, उनके परिवारों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
देवनारायण योजना को दोबारा देखा जाएगा और इसे बेहतर बनाया जाएगा।
जो सरकारी भर्तियां रुकी हुई हैं, उन पर जल्द कार्रवाई होगी।
आंदोलन के दौरान जो केस दर्ज हुए, उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।सरकार ने कहा कि वह हर मांग को शांति से हल करना चाहती है और गुर्जर समाज के साथ मिलकर समाधान निकाला जाएगा। अंत में गुर्जर महापंचायत : सरकार को माननी पड़ी मांगे