2025 बिहार चुनाव : जीतनराम मांझी कैसे बने BJP के मास्टर कार्ड?

2025 का बिहार चुनाव एक डिजिटल युद्ध की तरह हो गए। बीजेपी ने इस बार खेल बदला।
अब सारा टारगेट और ज़ोर बड़े समुदाय से उठकर पिछड़े वर्ग के लिए भी रणनीति बनाई गई है, जिसमें बीजेपी ने जान झोंक दी।
बीजेपी का प्लान दोनों समुदाय को एक जाजम पर बैठाकर पूरे बिहार की राजनीति को अपने पक्ष में करना है।
जानिए 2025 में युवाओं का रुझान किस ओर?
EBC और दलित वोट क्यों ज़रूरी हैं?
बिहार में यह (अति पिछड़ा वर्ग) समुदाय 30% के करीब है।
और दलित लगभग 16% हैं।
दलित समुदाय की आबादी करीब 16% है।
दोनों को मिलाकर 46% माने जाते हैं, जो बिहार में वोट से उलटफेर कर सकते हैं।
यह वर्ग लगभग तो RJD और कांग्रेस को वोट करता आया है।
हालांकि, “बीजेपी ने इन्हें योजना, राष्ट्र के प्रति भावुक कर वोट बटोरने का पूरा प्रयास कर रही है।

मोदी का ‘पिछड़ा-पिछड़ा’ मिशन क्या है?
पीएम मोदी खुद “ओबीसी,” यानी पिछड़ा वर्ग, से आते हैं; उन्होंने कई भाषणों में कहा भी है।
“क्योंकि मैं पिछड़ा वर्ग से आता हूँ।”
इन शब्दों का इतना सा मतलब है कि “पिछड़ा दलित समुदाय मुझे अपना भाई या परिवार समझे।
यह वोट आकर्षित करने का शानदार तरीका है—लेकिन थोड़े निराले और अलग तरीके से।
BJP यह मैसेज देना चाहती है कि
मोदी जी आपके जैसे हैं, आपके परिवार से निकले हैं, इसलिए उनके साथ चलना मतलब अपने समाज को आगे ले जाना।”
क्या है 2025 में डिजिटल वोटिंग और जाति समीकरण
चिराग पासवान और दलित वोट
NDA समर्थित चिराग पासवान भी भाजपा के पक्ष में खड़े हैं। पासवान दलित समुदाय से आते हैं, जो बिहार में एक बड़ा तबका है।
उनके पिता रामविलास पासवान का आज भी इस वर्ग में नाम का सिक्का चलता है।
जिसका लाभ चिराग पासवान को मिल रहा है।
बीजेपी, चिराग को बिहार के दलित समुदाय में वोट की अपील चाहती है।
चिराग पासवान अब देश के नेताओं में चर्चित नाम है, और बीजेपी इस काम के लिए चिराग को मजबूत चेहरे के रूप में दलित समुदाय में उतारेगी।
कुशवाहा फैक्टर
इस समुदाय में उपेन्द्र कुशवाहा नाम के नेता हैं, जिन्होंने पैठ जमा रखी है, भले ही कम संख्या में, लेकिन एकदम वफादार।
- यह समुदाय पूरे राज्य में फैला हुआ है।
- यह बिहार की 4-5 सीटों पर उलटफेर करने की ताकत रखते हैं।
- बीजेपी का लक्ष्य है कि “वे उनके साथ जुड़े और उनके समुदाय को फायदा पहुंचाएं।”
बीजेपी, ओबीसी वर्ग को भी अपने साथ जोड़कर, सत्ता की और बढ़ना चाहेगी।

जीतनराम मांझी की भूमिका
जीवनराम मांझी, एक वरिष्ठ और दमदार नेताओं में से एक है।
बिहार में मुसहर जाति से आने वाले हैं, यह राज्य की सबसे गरीब और अति पिछड़ी जाति है।
मांझी का HAM दल NDA को समर्थन करता है।
उनका सीमित और फिक्स वोट बैंक है, लेकिन कई सीटों पर उनके नाम से वोट मिलते
बीजेपी उन्हें अपने साथ रखेगी, जिससे इस वर्ग की चिंता न करनी पड़े।
मांझी का संदेश साफ “है—”हम नरेंद्र मोदी के साथ हैं क्योंकि उन्होंने हमें सम्मान दिया है।”
BJP की सोशल चालाकी से बना गठबंधन
बीजेपी 2025 में सीधा किसी जाति से वोट नहीं मांग रही बल्कि, हर वर्ग के लिए फैक्टर तैयार किया है:
- मोदी का “मैं भी पिछड़ा हूं” मिशन
- चिराग पासवान के जरिए दलितों में पैठ
- कुशवाहा जैसे नेताओं से OBC को जोड़ना
- मांझी को साथ रखकर सबसे गरीब दलितों को जुड़ाव
इन सबके अपने-अपने जाति समीकरण गणित अलग हैं, लेकिन लक्ष्य एक है।
नतीजे की संभावना?
बीजेपी अगर उसके मिशन में कामयाब होती है—
तो 2025 बिहार चुनाव में बिना मुस्लिम, यादव के जीत सकती है।
और यही BJP का असली प्लान है—
“RJD के कोर वोट बैंक को छोड़कर बाकी सबको अपने साथ जोड़ना”।
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