अखिलेश यादव : “भाजपा जमीन हड़पने वाली पार्टी”

लखनऊ : पूर्व मुख्यमंत्री और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का एक ओर विवादित बयान आया सामने जिसमें उत्तरप्रदेश की राजनीति में नया उबाल का दिया है। उन्होंने भाजपा की योगी सरकार को घेरते हुए यह कहा।
तानाशाह और संविधान विरोधी
लखनऊ में हो रही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव द्वारा भाजपा को “तानाशाह और हक छीनने वाली पार्टी” कहा साथ ही उनका कहना था कि भाजपा संविधान को खत्म कर, लोकतंत्र मिटाना चाहती है।
भाजपा की सरकार गरीब, पिछड़े , किसान, की जमीन हड़पने का काम करने में जुटी है, इनके नेता 2027 चुनाव से पहले राज्य में डर का माहौल पैदा करना चाहते।
किसानी मुद्दों पर सीधा हमला
- फसल का भारी नुकसान
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हवाई सर्वेक्षण को “जनता से दूर भागना”
- कहा और उनका कहना है कि वे लोगों के धरातल पर आकर देखे हवा में नहीं।
2. बिजली की कमी बताई
- सरकार के 8 साल हो गए है लेकिन बिजली का उत्पादन होते नहीं दिख रहा
- प्रदेश भर में बिजली की मांग रोज बढ़ रही है।

जातिवाद और दलित उत्पीड़न
- एक दलित किसान की आत्महत्या
डिप्टी सीएस का जातिवाद का जहर फैलाने कब
- डिप्टी सीएस का जातिवाद का जहर फैलाने का गंभीर आरोप लगाया
2. एएसपी महेंद्र राजभर पर हमला
- उन्होंने कहा कि सरकार का बढ़ते अपराध पर कोई कंट्रोल नहीं है।
अखिलेश यादव ने कहा कि “भारतीय जनता पार्टी” देश में जातिवाद का जहर घोलकर, फूट डालकर राज करना चाहती है। और हम संविधान बचाने, भाईचारे की ओर न्याय की बात करते हैं।
सरकार के खिलाफ नया संकेत
अखिलेश यादव ने इशारे-इशारे में कुछ नया होने के संकेत दिए, जिसका किसी को कोई अंदाजा नहीं है, उन्होंने किसी घटनाक्रम की बात कहते हुए कुछ नया होने की बात कही, जो किसी को समझा नहीं आई।
अंदाजा यह हो सकता है
- मध्यप्रदेश में भाजपा का राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर होने वाला है
- विपक्ष इसी को लेकर हो सकता है किसी बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रही हो।
2027 की तैयारी
जिस तरह अखिलेश यादव सरकार पर हमला कर रहे है, उससे यह साफ दिख रहा है की उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है।
उनकी प्राथमिकता है कि, उनके साथ दलित, पीड़ित, किसान का संघ ज्यादा से ज्यादा जुड़े ताकि वे योगी सरकार के सामने अपनी मजबूती रहने में कामयाब हो, जिसकी सपा द्वारा मुहिम चलाई जा रही है।
आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव काफी रोचक और मजेदार होने वाले हैं, देखना यह है कि कोन किस पर पड़ेगा ज्यादा भारी।
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